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Old 05-02-2013, 04:31 PM   #18
rajnish manga
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Originally Posted by aspundir View Post
(सन्दर्भ /इस सूत्र का पृष्ठ 1/ फ्रेम 10)
पुंडीर जी, मैं यहाँ अपने साथी सदस्यों की जानकारी के लिए बताना चाहता हूँ कि उक्त वृहदाकार इमारत 'पिरामिड ऑफ़ कुकुलकान' के नाम से विख्यात है जो समीपवर्ती काम्पलेक्स के सबसे ऊंचे स्थान पर बना हुआ जिसे चारों ओर से देखा जा सकता था और यह इसे शक्ति का प्रतीक माना जाता था. माया सभ्यता लगभग 6000 वर्ष पुरानी कही जाती है और बहुत विकसित मानी जाती है. यह मेक्सिको की खाड़ी और केरीबियन के मध्य में यूकाटन अंतरीप में है जहाँ बाद में धनी और शक्तिशाली माया सभ्यता के प्रभाव वाले 'चिचिन इत्ज़ा' नामक नगर का निर्माण 435 ई. से 455 ई. के मध्य किया गया. इस नगर के खूनी इतिहास पर नज़र डालने पर पता चलता है कि ई. सन् 1200 के लगभग यहाँ माया जातियों में से ही एक निर्दयी और हिंसक समूह ने कब्जा कर लिया. प्रसंगवश, इनका प्रिय खेल एक गेंद की सहायता से खेला जाता था जिसमे गेंद को हाथ या पैर लगाने की अनुमति नहीं दी जाती थी बल्कि हाथ की कोहनियों की सहायता से इस गेंद को पत्थर से बनाए गए एक गोलाकार खाली स्थान (हूप) से निकाल कर दूसरी ओर डालना पड़ता था. यह खेल टीमों के बीच खेला जाता था. जो टीम इस प्रतिस्पर्धा में हार जाती थी उसके मुखिया का सर सरे आम दरबार में धड़ से अलग कर दिया जाता था. इन कटे हुए सरों को देवताओं को प्रसन्न करने के लिए आहुति के तौर पर 20 मीटर गहरे गड्ढों में फेंक दिया जाता था. यह भी कहा जाता है कि वर्षा न आने पर देवताओं को खुश करने के लिए जीवित मनुष्यों के शरीर से उनका ह्रदय निकाल कर बाज और गिद्धों को खिलाया जाता था. इसके अतिरिक्त न जाने कितने नर-मुंडों को त'ज़ोम्पेंतली (नरमुंडों का मंदिर) में देवताओं को प्रसन्न करने के लिए फेंक दिया जाता था. इस समय, शासक जाति का विश्वास था कि ऐसा करने से उनका वंश दीर्घजीवी तथा अजेय बना रहेगा. लेकिन यह नर संहार बहुत लम्बे समय तक नहीं चल सका और जल्द ही इस जाति का सर्वनाश हो गया.

Last edited by rajnish manga; 05-02-2013 at 05:08 PM.
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