Re: इनसे सीखें जीने का अन्दाज़
एक विद्यार्थी, एक टीचर वाला स्कूल
स्कूल की घंटी और क्लास की तरफ भागते बच्चे। पढ़ाई के बीच में साथियों के साथ शरारतें, लंच की छुट्टी, मिल बांट कर खाना और खेलना। आखिरी क्लास और स्कूल से घर की ओर दौड़ लगाते बच्चे। लेकिन चीन में एक अनोखा स्कूल है जहां ना बच्चे खेलते नजर आते हैं न हीं पढ़ते और शरारतें करते दिखते हैं। इस स्कूल में एक बच्ची है जो अकेले पढ़ती है और अकेले ही खेलती है। ऐसा नहीं है कि इस बच्ची के दोस्त नहीं बने। दरअसल इतने बड़े स्कूल में बच्ची को पढ़ाने वाला भी एकमात्र शिक्षक है। सात साल की यह बच्ची रोज सवेरे स्कूल आती है और वहां एकमात्र टीचर से पढ़ती है। ठीक समय पर लंच की घंटी बजती है। वह अकेले लंच करती है और फिर क्लास चलती है। स्कूल खत्म होने पर वह अकेली घर को लौट जाती है। यह देखते और सुनने वालों को बड़ा ही आश्चर्य होता है। दक्षिणी चीन के फुजियन प्रांत का नानोउ गांव इस स्कूल और बच्ची के चलते चर्चा में आ गया है। दरअसल इस गांव के लोग काफी समय पहले गांव छोड़कर जा चुके हैं। सात साल की झांग सिकी स्पाइनल डिस्क की बीमारी के चलते गांव छोड़कर नहीं जा सकी। झांग अपनी 76 साल की दादी मां के साथ इस गांव में रहती है। सिकी की बीमारी के चलते और उसके गांव के नजदीक होने के कारण इस स्कूल को दोबारा खोला गया है। यहां के टीचर हैं झांग वनिजा। वनिजा ने बताया कि सिकी स्कूल में पढ़ने वाली एकमात्र विद्यार्थी है लेकिन वो पूरे दिल से उसे पढ़ाते हैं। अकेली होने के कारण सिकी को कोई छूट नहीं मिलती। वनिजा चीन के राष्ट्रीय स्कूल प्रोग्राम का हर नियम पूरा करते हैं। सिकी लंच टाइम में अपने टीचर के साथ बॉस्केट बॉल खेलती है और स्कूल कंपाउंड का एक चक्कर लगाती है। इतना ही नहीं हर सप्ताह होने वाली फ्लैग सेरेमनी में भी सिर्फ सिकी और वनिजा ही होते हैं। पर फिर भी वनिजा को कोई अफसोस नहीं है। उनका कहना है कि इतने बड़े स्कूल में एक बच्चे को पढ़ाना बड़ा अजीब लगता है लेकिन कोई चारा नहीं है। बहुत बुरा लगता है जब वह स्कूल के कार्यालय में बैठते हैं और पूरे स्कूल में कोई नहीं होता। सिकी की दादी का कहना है कि उनकी पोती बहुत मेहनती और समझदार है। वह जानती है कि उसे अकेले ही शिक्षा लेनी है फिर भी वह बहुत मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई करती है। दादी के अनुसार सिकी उनका घर के काम में भी हात बंटाती है और उन्हें चाय के बागान में जाने से रोक देती है क्योंकि वह बहुत बुजुर्ग हो गई हैं।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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