Re: डार्क सेंट की पाठशाला
फूट से होता है विनाश
एक जंगल में बटेर का बड़ा झुंड था। एक शिकारी ने उन बटेरों को देख लिया। सोचा कि अगर थोड़े-थोड़े बटेर रोज पकड़कर ले जाऊं, तो मुझे शिकार के लिए भटकने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगले दिन शिकारी बड़ा जाल लेकर आया। बहुत से चतुर बटेर खतरा समझ भाग गए। कुछ नासमझ और छोटे बटेर थे, वे फंस गए। शिकारी बटेरों के इतने बड़े खजाने को हाथ से नहीं जाने देना चाहता था। वह उन्हें पकड़ने की नई-नई तरकीबें सोचने लगा। फिर भी बटेर पकड़ में न आते। अब शिकारी बटेर की बोली बोलने लगा। आवाज सुनकर बटेर जैसे ही एकत्र होते, शिकारी जाल फैंककर उन्हें पकड़ लेता। इस तरकीब में शिकारी सफल हो गया। बटेर धोखा खा जाते और शिकारी के हाथों पकड़े जाते। धीर-धीरे उनकी संख्या कम होने लगी। एक रात एक बूढ़े बटेर ने सबकी सभा बुलाई और कहा, "इस मुसीबत से बचने का एक उपाय मैं जानता हूं। जब तुम लोग जाल में फंस ही जाओ, तो सब एक होकर वह जाल उठाना और किसी झाड़ी पर गिरा देना। जाल झाड़ी पर उलझ जाएगा और तुम नीचे से निकल जाना, लेकिन वह तभी हो सकता है, जब तुममें एकता होगी।" अगले दिन से बटेरों ने एकता दिखाई और वे शिकारी को चकमा देने लगे। शिकारी खाली हाथ लौटने लगा, तो उसकी पत्नी ने कारण पूछा। वह बोला बटेरों ने एकता का मंत्र जान लिया है। जिस दिन उनमें फूट पड़ेगी, वे फिर पकड़े जाएंगे। कुछ दिन बाद बटेरों का एक समूह जाल में फंसा, तो उनमें जाल को लेकर उड़ने पर बहस छिड़ गई। वे आपस की बहस कर ही रहे थे कि शिकारी आ गया और उसने सब बटेरों को पकड़ लिया। अगले दिन बूढ़े बटेर ने बचे हुए बटेरों को समझाया कि एकता ही संकट का मुकाबला कर सकती है। कलह से सिर्फ विनाश होता है। अगर इस बात को भूल जाओगे, तो अपना विनाश कर लोगे। फिर वह शिकारी कभी भी बटेर नहीं पकड़ सका।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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