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Originally Posted by munneraja
मैंने अपने पुत्र के विवाह में आने वाले सामान की लिस्ट काट कर पुत्रवधू के पिता को सौप दी थी. मुझे आज तक दुनिया सुनाती है कि आते हुए सामान को क्यों मना किया ??
क्या मैंने वाकई में गलत किया ??
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गलत आज के जमाने के लिहाज से हैँ
लेकिन आपके आत्मा मेँ एक अजीब सी खुशी होगी की चलो दुनिया के भेड चाल मे मैँ तो सामिल नहीँ हुँ
दादा विषय को थोडा चेँज कर रहा हुँ
कई बार आगर ऐक्सीटेँड हो जाता हैँ ट्रेन का तो कई ऐसे शरारती तत्व आपको मिल जाऐगेँ जो मुसाफिर को बचाने के बजाऐ हाथ साफ करने पर आमादा रहतेँ हैँ
तो गलत करने वालोँ की कोई कमी नहीँ हैँ दुनिया मेँ हाँ यह अलग बात हैँ
मुठ्ठी भर अच्छे लोगोँ के वजह से आज भी दुनिया कायम हैँ
अगर दुनिया से जिस दिन भी चले गए यही मुठ्ठी भर इंसान तो दुनिया गारत