!! गीत सुधियोँ के !!
भाव के सूखे से
पल्लवोँ को ,
सुधि की सुधा से
सरसा लिया मैँने ।
राग अतीत मे
खो गए जो ,
उन रागोँ को राग
से गा लिया मैँने ।
स्वप्न असत्य के
भासित सत्य से ,
सत्य को भी -
झुठला लिया मैँने ।
कैसे कहूँ तुम्हेँ
पाया नही
बिना पाए हुए
तुम्हे पा लिया मैँने ।
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."
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