Re: !! गीत सुधियोँ के !!
जाने किस उधेड़बुन मेँ हैँ
सुधि के गीतोँ के बंजारे ।
चलते चलते ठहर ठहर कर ठहर ठहर कर चल पड़ते हैँ अनुमानोँ ने हार मान ली जाने किस पथ पर बढ़ते हैँ मझधारोँ मे खोज रहे हैँ
कब से खोए हुए किनारे । जाने किस उधेड़बुन मेँ हैँ सुधि के गीतोँ के बंजारे ।
जाने क्या ये सोच रहे हैँ जाने क्या करने वाले हैँ
तैर रही चेहरे पर हलचल अधरोँ पर लटके ताले हैँ , अगरू धूम मेँ आँखे मीचे
क्योँ बैठे हैँ योँ मन मारे ।
जाने किस उधेड़बुन मेँ हैँ सुधि के गीतोँ के बंजारे ।
पंखो मेँ आकाश समाया
फिर भी क्योँ हारे हारे हैँ ,
स्वामी हैँ शाश्वत प्रकाश के दिखने मेँ क्योँ अधियारे हैँ
देखो , कब खोलेँ ये लोचन कब दमकेँ नयनोँ के तारे ।
जाने किस उधेड़बुन मेँ हैँ
सुधि के गीतोँ के बंजारे ।
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."
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