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Old 10-02-2013, 06:56 PM   #159
jai_bhardwaj
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Default Re: कुम्भ : कुछ अलग रंग

कुंभनगरी इलाहाबाद। महाकुंभ में आज रविवार को मौनी अमावस्या पर इकट्ठी भीड़ में अचानक भगदड़ होने से दो लोगों की मौत हो गई जबकि कई अन्य के घायल हो गए हैं। यह घटना मेला क्षेत्र के सेक्टर 12 में हुई है। कुंभ प्रशासन के अनुसार आज तकरीबन तीन करोड़ श्रद्धालुओं की भीड़ थी।

इससे पहले कड़ी सुरक्षा के बीच शाही स्नान के लिए श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह है। सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़े ने स्नान किया। इससे पहले सुबह 5:15 बजे महानिर्वाणी अखाड़ा और अटल अखाड़ा ने त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान के लिए जुलूस के साथ प्रस्थान किया। जूना अखाड़े के नागा साधुओं संगम में स्नान करने के बाद बाकी 12 अखाड़ों ने शाही स्नान किया। अखाड़ों के साथ रथ पर सवार धर्माचार्यो, संत- महात्माओं का दर्शन करने व शाही स्नान का नजारा देखने के लिए श्रद्धालुओं का भारी भीड़ जमा है। मकर संक्रांति के बाद मौनी अमावस्या के अवसर पर पड़ने वाले इस शाही स्नान के लिए रविवार सुबह आठ बजे तक दो करोड़ से ज्यादा लोग पवित्र संगम में डुबकी लगा चुके थे।

कुंभ पर्व का प्रमुख स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं की अमृत पान की आस पूरी होगी। रविवार को पड़े इस महास्नान पर्व पर करोड़ों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने को आतुर हैं। अमावस्या तिथि शनिवार दोपहर 2.28 बजे से लगने के कारण स्नान, दान का सिलसिला एक दिन पहले ही शुरू हो गया। रविवार को दोपहर 12.47 बजे तक अमावस्या रहने के कारण स्नान का सिलसिला पूरी रात चलता रहा।

मौनी अमावस्या पर शनि व राहु जैसे ग्रहों के एक साथ आने से श्रद्धालुओं के अमृत प्राप्ति की आस काफी बढ़ गई है। ऐसा योग 147 वर्ष बाद बना है। इसके बाद 147 वर्ष बाद ही ऐसा योग पुन: बनेगा। इस अवधि में चंद्रमा, सूर्य साथ संचार करेंगे। स्नान, दान, श्राद्ध का यह सबसे उपयुक्त काल होगा।

सुबह 6.23 तक अमृत योग :-

ज्योतिर्विद वंदना त्रिपाठी बताती हैं कि अमावस्या स्नान का मुहूर्त रविवार को दोपहर 12.47 बजे तक था । परंतु इसका अमृत योग भोर 4.21 से सुबह 6.23 बजे तक है। यह वह बेला है जो अमृत की कामना को साकार करेगी। इसमें धन के अतिरिक्त गरम कपड़ा, जौ, फल, मिष्ठान का दान करना चाहिए।

मौन रहकर करना था स्नान:-

मौनी अमावस्या पर मौन रहकर स्नान करने का विशेष महत्व है। आचार्य अविनाश राय बताते हैं कि मत्स्य पुराण, श्रीमद्भागवत, मार्कंडेय पुराण मौनी अमास्वया पर मौन रखकर स्नान करने का वर्णन है। अमावस्या शुक्लपक्ष व कृष्णपक्ष का संधिकाल है। माघ की अमावस्या पर बृहस्पति का संयोग बनने से इसका महात्म्य काफी बढ़ गया है। इससे पूरे दिन संध्या के समय जैसा ही प्रभाव रहता है। ऋषियों ने संधिकाल में पूजा, ध्यान, जप करने का उपयुक्त समय बताया है। मौनव्रत रखकर मन में श्रीहरि विष्णु का जाप करते हुए स्नान करने से मन एकाग्र रहता है। साथ ही वातावरण की दूषित तरंगों का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

छितरा गए इंतजाम, कई जगह भगदड़

कुंभ नगर/इलाहाबाद । वही हुआ जिसका डर था। महीने भर पहले से बनाए गए तमाम प्लान मौनी अमावस्या पर्व पर छितरा गए। करीब आठ बजे भीड़ का ऐसा दबाव बढ़ा कि पुलिस तंत्र का भीड़ से नियंत्रण हट गया। उस समय तो और भी स्थिति विकट हो गई जब पुलिस का अपने ही मातहतों से संपर्क टूट गया और देखते ही देखते भीड़ अनियंत्रित होती चली गई। काली सड़क पर भगदड़ को नियंत्रित करने की कोशिश शुरू ही हुई थी कि कई और जगह भी भगदड़ की सूचनाएं आने लगीं। यह गंगा मैया की ही अनुकंपा थी कि जल्द ही स्थिति पर काबू पा लिया गया था, मगर इस दौरान दर्जनों लोग अपने परिवार से बिछुड़ चुके थे। घायलों की संख्या भी दो दर्जन से ऊपर पहुंच चुकी थी।

प्रशासन की प्लानिंग में गड़बड़ी रविवार सुबह आठ बजे से दिखाई देनी शुरू हो गई। ऐसा लगा, जैसे उनके बीच का वार्तालाप खत्म हो चुका है। करीब आठ बजे ऐसा क्षण था जब संगम नोज पर श्रद्धालुओं का दबाव काफी बढ़ चुका था। उन्हें हटाने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग करना शुरू कर दिया। अभी इस स्थिति से पुलिस निबटने की कोशिश कर ही रही थी कि ठीक उसी समय शाही घाट पर अखाड़ों के साधु-संतों के साथ आम श्रद्धालुओं की भीड़ भी आ घुसी। वहां खड़ी फोर्स कुछ देर तक समझ ही नहीं पायी कि आखिर उसे क्या एक्शन लेना है। हड़बड़ी में शाही स्नान घाट पर खड़ी पुलिस ने भीड़ को वापस मोड़ दिया। फिर क्या था, लाखों का रेला जब सेक्टर चार की तरफ मुड़ा तो उधर से संगम की तरफ आने वाली भीड़ से सामना हो गया। दो विपरीत दिशा से आ रही भीड़ की टकराहट और हर तरफ महिलाओं और बच्चों का करुण क्रंदन।

इसी बीच संगम की तरफ से भीड़ का दूसरा रेला सुनामी की तरह शाही स्नान घाट की तरफ बढ़ गया। उस समय आठ बजकर 25 मिनट हो रहे थे और उसी समय जूना अखाड़े की पेशवाई होनी थी। प्रशासन इस भयावह स्थिति से कांप गया। जूना अखाड़े को थोड़ी देर के लिए रोकना पड़ गया। इसके बाद शुरू हुई भीड़ को हटाने की कोशिश। हर जगह पुलिस की सीटियां बजने लगीं। भीड़ यह समझ ही न पायी कि आखिर उसे पहले संगम और फिर सामने दिख रहे घाट से भगाया क्यों जा रहा है। धक्का-मुक्की का दौर शुरू हो गया। दबाव ऐसा बढ़ा कि झूंसी की तरफ से आने वाले पांटून पुल जाम हो गए। हजारों की भीड़ पांटून पुल में फंस कर रह गई। किसी तरह भीड़ को आगे खिसका कर स्थिति को नियंत्रित किया गया। सेक्टर नौ और काली मार्ग पर भी भीड़ में अफरातफरी का माहौल रहा। इस हादसे में जहां दर्जनों परिवार बिखर गए, वहीं दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए।
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

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