Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
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Originally Posted by bhaaiijee
पहले सीने पर ज़रा तुम हाथ रख कर देखना
फिर समंदर आँख का, दिल का बवंडर देखना
मौत की उस दिन बड़ी ही याद आयेगी जनाब
जब तमाचा ज़िन्दगी , मारेगी कस कर देखना
अश्क, आहें, रंज़ोगम , होंगे पशेमां सब के सब
भीगी पलकों से सही,पर खिलखिला कर देखना
तुम अगर चाहो कि मरकर भी सदा ज़िंदा रहो
तो किसी के वास्ते ऐ दोस्त! मर कर देखना !!
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वाह वाह, वाह वाह !!
बड़े भैया, हम निशब्द हो गए !!!
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!"
Last edited by jai_bhardwaj; 04-12-2010 at 10:58 PM.
Reason: रंज़ोगम
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