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Originally Posted by john07
यूँ न देख मेरे कब्र की तरफ,
तेरे आँखों में अश्क मुझसे देखे नहीं जाते....
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कोशिश अच्छी है, जॉन जी. प्रयास करते रहें.
कुछ पंक्तियाँ पेश केर रहा हूँ:
रोने का आलम ऐसा था,
हम झूम के सावन तक पहुंचे.
दो चार ही आंसू ऐसे थे,
जो आपके दामन तक पहुंचे.
(शेखादम आबूवाला)