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एनजीटी ने गलत जानकारी अपलोड करने पर पर्यावरण मंत्रालय से जवाब मांगा
नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से यह स्पष्टीकरण देने को कहा है कि उसकी वेबसाइट पर उसके दायरे में आने वाले विभिन्न विषयों के संबंध में गलत एवं अपूर्ण जानकारी किस प्रकार अपलोड की गयी। न्यायाधिकरण ने कहा कि बड़ी संख्या में आवेदकों की शिकायतें आयी हैं कि मंजूरी या नामंजूरी के संबंध में जानकारी लंबे समय तक मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड नहीं की जाती है। इसके अलावा जब जानकारी अपलोड की भी जाती है तो वह गलत और अपूर्ण रहती है। न्यायाधिकरण के प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के संबंधित अधिकारी इस पहलू के संबंध में स्पष्टीकरण दें। इसके साथ ही पीठ ने नेशनल इंर्फोमेटिक्स सेंटर के प्रभारी को भी अगली सुनवाई के दिन मौजूद रहने को कहा है। न्यायाधिकरण छत्तीसगढ के परसा (पूर्वी) और कांता बेसन कोल ब्लॉकों में पेड़ काटे जाने के लिए दी गयी पर्यावरणीय मंजूरी को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई कर रहा था। याचिकाकर्ता समीर मेहता ने न्यायाधिकरण से कहा कि मंजूरी संबंधी आदेश के अनुसार पर्यावरण मंजूरी 21 दिसंबर 2011 को दी गयी जबकि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की वेबसाइट पर बताया गया कि पर्यावरण मंजूरी के संबंध में आवेदन 30 जुलाई 2012 को मिला। पीठ ने इस विरोधाभास के संबंध में मंत्रालय के जवाबदेह अधिकारी को अगली सुनवाई के दिन पेश होने तथा इसकी वजह स्पष्ट करने को कहा है। न्यायमूर्ति पी ज्योतिमणि भी इस पीठ में शामिल हैं। न्यायाधिकरण ने मामले की अगली सुनवाई के लिए छह मार्च की तारीख मुकर्रर की है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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