Re: मोती और माणिक्य
कविवर रहीम
बड़े बड़ाई न करै बड़े न बोलें बोल i
रहिमन हीरा कब कहे लाख टका मेरा मोल ii
रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून i
पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून न ii
रहिमन बिपदा हूँ भली जो थोरे दिन होय i
हित अनहित या जगत में जानि परत सब कोय ii
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय i
टूटे से फिर ना मिले मिले गाँठ पड़ जाय ii
छिमा बड़ेन को चाहिए छोटिन को उतपात i
का रहीम हरि को घट्यो जो भृगु मारी लात ii
तरुवर फल नहीं खात हैं सरवर पियहिं न पान i
कहि रहीम पर काज हित संपति सँचहि सुजान ii
रहिमन गली है सांकरी दूजो ना ठहराहि i
आपु अहे तो हरि नहीं हरि तो आपुन नाहीं ii
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