28-02-2013, 08:30 AM
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Re: डार्क सेंट की पाठशाला
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Originally Posted by Dark Saint Alaick
चर्चा करो, चिल्लाओ मत
एक बार एक संन्यासी अपने शिष्यों के साथ गंगा नदी के तट पर नहाने पहुंचा। वहां एक ही परिवार के कुछ लोग अचानक आपस में बात करते-करते एक दूसरे पर क्रोधित हो उठे और जोर-जोर से चिल्लाने लगे। संन्यासी यह देख तुरंत पलटा और अपने शिष्यों से पूछा, क्रोध में लोग एक दूसरे पर चिल्लाते क्यों हैं ? शिष्य कुछ देर सोचते रहे। एक ने उत्तर दिया, क्योंकि हम क्रोध में शांति खो देते हैं इसलिए। संन्यासी ने पुन: प्रश्न किया कि जब दूसरा व्यक्ति हमारे सामने ही खड़ा है तो भला उस पर चिल्लाने की क्या जरुरत है। जो कहना है वो आप धीमी आवाज में भी तो कह सकते हैं। कुछ और शिष्यों ने भी उत्तर देने का प्रयास किया पर बाकी लोग संतुष्ट नहीं हुए। अंतत: संन्यासी ने समझाया कि जब दो लोग आपस में नाराज होते हैं तो उनके दिल एक दूसरे से बहुत दूर हो जाते हैं और इस अवस्था में वे एक दूसरे को बिना चिल्लाए नहीं सुन सकते। वे जितना अधिक क्रोधित होंगे उनके बीच की दूरी उतनी ही अधिक हो जाएगी और उन्हें उतनी ही तेजी से चिल्लाना पड़ेगा। क्या होता है जब दो लोग प्रेम में होते हैं ? तब वे चिल्लाते नहीं बल्कि धीरे-धीरे बात करते हैं क्योंकि उनके दिल करीब होते हैं, उनके बीच की दूरी नाम मात्र की रह जाती है। संन्यासी ने बोलना जारी रखा - और जब वे एक दूसरे को हद से भी अधिक चाहने लगते हैं तो क्या होता है? तब वे बोलते भी नहीं। वे सिर्फ एक दूसरे की तरफ देखते हैं और सामने वाले की बात समझ जाते हैं? प्रिय शिष्यो, जब तुम किसी से बात करो तो ये ध्यान रखो की तुम्हारे ह्रदय आपस में दूर न होने पाएं। तुम ऐसे शब्द मत बोलो, जिससे तुम्हारे बीच की दूरी बढ़े, नहीं तो एक समय ऐसा आएगा कि ये दूरी इतनी अधिक बढ़ जाएगी कि तुम्हे लौटने का रास्ता भी नहीं मिलेगा। इसलिए चर्चा करो, बात करो लेकिन कभी किसी पर चिल्लाओ मत। शिष्यों को संन्यासी की बात समझ आ गई।
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