View Single Post
Old 01-03-2013, 06:39 PM   #26
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: कलियां और कांटे

लेकिन अब जब भी आते हैं, जाने की जल्दी रहती है !
सहमी उनकी आँखें जाने क्या मौन भाव से कहती हैं !
रह-रह होंठों पर जीभ फेर, चुप-चुप उदास से रहते हैं !
पापा संग घर में बैठ अलग, जाने क्या बातें करते हैं !
.
अब राहों में जब मिलते हैं, मुंह लेते फेर देख हमको !
रोने-रोने को मन करता, पर हम पी जाते हैं गम को !
लम्बी-पतली गोरी-चिट्टी, दीदी की एक सहेली थी !
जब भी वह घर पर आती थी, बुझवाती एक पहेली थी !
.
उसकी मम्मी भी कभी-कभी, उसके संग आती थी घर पर !
चूड़ी-टिकुली-नथिया पहने, पल्लू डाले रहती सर पर !
जब भी आती थी हमें उठा, बांहों में खूब झूलाती थी !
सर को, गालों को, होठों को, वह चूम-चूम दुलराती थी !
.
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote