Re: ज़िन्दगी ... .
अब न कोई कमी
अब ना कोई कमी सी लगती है
जिन्दगी, जिन्दगी-सी लगती है
हमसफर तुम हो इस सफर में तो
तीरगी रोशनी-सी लगती है
इश्क रहमत भी है इबादत भी
आशिकी बन्दगी-सी लगती है
तेरे चेहरे की मुस्कुराहट से
जीस्त मेरी जुड़ी-सी लगती है
समंदर तुम हो एक प्यासा और
मेरी हस्ती नदी-सी लगती है
सबसे अनमोल तेरी चाहत है
तू मेरी जिंदगी-सी लगती है
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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