कोच्चि की अलग कहानी
कोच्चि में भी 'औसत साइज' मापने के लिए एक सर्वे किया गया था। इसमें 301 लोग शामिल हुए थे और इसके नतीजे साल 2007 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंपोटेंस रिसर्च में प्रकाशित हुए थे। इस सर्वे को सेक्स रोग विशेषज्ञ डॉ. के प्रोमुदु ने किया था। डॉ. प्रोमुदु के सर्वे के मुताबिक औसत साइज 5.8 इंच लंबा पाया गया। हालांकि उन्होंने सर्वे सिर्फ केरल में किया था इसलिए इसे समूचे भारत का प्रतिनिधि नहीं माना जा सकता। लेकिन यदि डॉ. प्रोमुदु के सर्वे को यदि मानक माना जाए तो इस सूची में भारत चीन समेत कई देशों से ऊपर हो जाता है।
इस तरह डॉ. लिन की रिसर्च में कई खामियां नजर आती हैं। लेकिन उनकी रिपोर्ट इस बात पर रोशनी जरूर डालती है कि दुनिया के अलग-अलग इलाकों के पुरुषों के 'साइज' में इतना फर्क क्यों हैं। उन्होंने इसे मानव जाति के विकास से जोड़ा है। उनके मुताबिक प्राचीन काल में पुरुषों में महिलाओं को गर्भवती कर अपनी नस्ल के विकास की होड़ रहती थी। इस होड़ में अपेक्षाकृत लंबे प्राइवेट पार्ट वाले पुरुष बाजी मार लेते थे। लेकिन जैसे-जैसे पुरुष जाति ने अफ्रीका से यूरोप, एशिया और अन्य द्वीपों में पलायन किया, उनके बीच महिलाओं को गर्भवती करने की होड़ कम हो गई। इस कारण से पुरुषों के शरीर में टेस्टोस्टोरोन नाम का हारमोन भी कम होता गया। नतीजतन 'साइज' छोटा होता चला गया।
डॉ लिन के शोध के मुताबिक नीग्रॉयड्स का 'औसत साइज' 6.3 इंच होता है। ये अफ्रीका में ही रहने वाले पुरुषों के वंशज हैं जबकि कोकसॉड्स पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा 5.4 इंच और मंगोलॉयड्स के मामले में 4.7 इंच है। ये उन पुरुषों के वंशज है जो अफ्रीका को छोड़कर यूरोप और एशिया में बस गए थे