ये 4 काम बिना शर्म किए करेंगे तो आप भी फायदें में रहेंगे
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
धनधान्यप्रयोगेषु विद्वासंग्रहणे तथा।
आहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्ज: सुखी भवेत्।।
इस श्लोक में आचार्य कहते हैं कि जो भी व्यक्ति धन से संबंधित कार्यों में शर्म करता है उसे धन हानि का सामना करना पड़ता है। यदि किसी व्यक्ति हमें उधार दिया गया पैसा वापस लेना है और हम शर्म के कारण उससे पैसा मांग नहीं रहे हैं तो यह निश्चित है कि धन हानि होगी। अत: कभी भी धन से संबंधित कार्यों में शर्म नहीं करना चाहिए। धन के साथ अन्य किसी वस्तु के लेन-देन में भी शर्म नहीं करना चाहिए।