Re: ज़िन्दगी ... .
कसक दिल की दिल में चुभी रह गई ,
जिंदगी में तुम्हारी कमी रह गई ।
एक मैं , एक तुम , एक दीवार थी,
ज़िन्दगी आधी-आधी बटी रह गई ।
मैंने रोका नहीं , वो चला भी गया ,
बेबसी दूर तक देखती रह गई ।
रात के भीगी -भीगी छतो की तरह ,
मेरी पलकों पे थोड़ी नमी रह गई ।
कसक दिल की दिल में चुभी रह गई ,
ज़िन्दगी में तुम्हारी कमी रह गई ।"
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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