पुण्यतिथि 13 अप्रैल पर
रियल लाइफ को रील लाइफ में जीवंत करते थे बलराज साहनी
भारतीय सिनेमा जगत में बलराज साहनी को एक ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने रियल लाइफ किरदारों को रील लाइफ में खूबसूरती के साथ अदा किया। वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ में बलराज साहनी ने एक रिक्शावाले के किरदार को जीवंत कर दिया था। रिक्शावाले को फिल्मी पर्दे पर साकार करने के लिए बलराज साहनी ने कोलकाता की सड़कों पर 15 दिनों तक खुद रिक्शा चलाया और रिक्शेवालों की जिंदगी के बारे में उनसे बातचीत की। इसी तरह वर्ष 1961 में प्रदर्शित फिल्म ‘काबुलीवाला’ में भी बलराज साहनी ने अपने संजीदा अभिनय से दर्शकों को भावविभोर किया। उनका मानना था कि पर्दे पर किसी किरदार को साकार करने के पहले उस किरदार के बारे में पूरी तरह से जानकारी हासिल की जानी चाहिए। इसीलिए वह मुंबई में एक काबुलीवाले के घर में लगभग एक महीना तक रहे। रावलपिंडी शहर (अब पाकिस्तान) में एक मध्यम वर्गीय व्यवसायी परिवार में एक मई 1913 को जन्में बलराज साहनी (मूल नाम युधिष्ठर साहनी) ने अंग्रेजी साहित्य में अपनी स्नातकोत्तर की शिक्षा लाहौर के मशहूर गवर्नमेट कॉलेज से पूरी की। वर्ष 1951 में जिया सरहदी की फिल्म ‘हमलोग’ के जरिए बतौर अभिनेता वह अपनी पहचान बनाने में सफल हुए। बलराज साहनी के कॅरियर की उल्लेखनीय फिल्मों में गरम कोट, सीमा, कठपुतली, लाजवंती, सोने की चिड़िया, घर संसार, सट्टा बाजार, भाभी की चूड़िया, हकीकत, वक्त, दो रास्ते, एक फूल दो माली, मेरे हमसफर , गर्म हवा आदि हैं। अपने संजीदा अभिनय से दर्शकों को भावविभोर करने वाले बलराज साहनी 13 अप्रैल 1973 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।