Re: 'काहे को ब्याही विदेश' - कहानी- उत्कर्ष राय
काफी रिश्ते आए। आखिरकार बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शर्मा की द्वितीय पुत्री ललिता ही उन्हें भाई। अपने समय के हिसाब से वे कुछ अधिक ही आधुनिका थीं अत: भारत में उनके विवाह में परेशानी भी हो रही थी। जनार्दन के हामी भरते ही जैसे यह चरितार्थ हो गया कि 'रिश्ते स्वर्ग में ही बनते हैं।'
अन्तत: दोनों के पासपोर्ट, वीसा तैयार होने के बाद वह दिन भी आ गया, जब उन्हें बनारस से दिल्ली रवाना होना था।
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