Re: "सूबेदार बग्गा सिंह" - कमलेश बख्शी
कुछ पता होता तो सीना तान सिर ऊँचा उठा कह देता, ,,मेरा बेटा भी टक्कर ले रहा है दुश्मनों से
लम्बे तनाव के बाद वह खुश है। व्हील चेअर पर हाथ तेज़ चल रहे हैं ख़बर आ गई है ,,हम जीत गए हैं।,, चहकता हुआ हर जवान से कह रहा है।
,,हमारे जवानों के सामने दुश्मन टिकता कैसे। पैंसठ इकहत्तर भूल गए थे। सदी का अंत याद रहेगा।,,
,,जल्दी-जल्दी तन्दुरूस्त हो जाओ जवानो...,,
जब उसे पता चला, ज़ख्मी कर्नल का नाम करनैल सिंह हैं और वह पक्खीवाल का है चेअर रुक जाती थी उसके पास, उसका चेहरा गौर से देखता था आज निश्चय कर लिया था उसके बारे में और जानकारी लूँगा।
,,तुम्हारा बापू खेती करता होगा...,,
,,नहीं जी सूबेदार बग्गा सिंह देश के लिए कुर्बान हो गया।,,
वह चौंक गया ,,कहाँ? डरते-डरते पूछा
,,चीन की लड़ाई में। लापता की लिस्ट में था, फिर मृत मान लिया गया। शरीर नहीं मिला जी।,,
,,तुम्हारी माँ ने बड़ी हिम्मत की, पति को खो बेटा भी फौज में भेज दिया। तुम्हारे घर में दादा, दादी कोई नहीं थे? रोक सकते थे।,,
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