Re: शायरी का किमा
एक थे जनाब रोज लिखा करते थे
अपनी महजबी को ख़त,
और सबके परदे में लिखा करते
अपनी परदानशीन को ख़त
डाकिया रोज दे आता था उस परदानशीन
को ख़त!
सिलसिला कुछ यूँ चला और बढ़ गई बात,
कि वो परदानशीन
जिस पर मरा करते थे जनाब
भाग गई उस डाकिये के साथ!
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