Re: Sachin@40
पाकिस्तान में डेब्यू रहा सबसे अहम
घरेलू क्रिकेट में प्रभावशाली डेब्यू ने सचिन तेंडुलकर को 1989 के पाकिस्तान दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम में शामिल करवा दिया।
यह टूर सचिन के करियर में सबसे अहम रहा। कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। पाकिस्तान में सचिन ने साबित कर दिखाया कि वे महज एक स्कूली क्रिकेटर नहीं हैं जो घरेलू मैदानों पर ही शेर होता है।
कराची की तेज पिच पर सचिन ने करियर का पहला टेस्ट खेला। उस मैच में पाकिस्तानी फास्ट बॉलर्स अपनी स्विंग और रफ्तार से भारतीय बल्लेबाजों के बारह बजा रहे थे। जब रवि शास्त्री जैसे दिग्गज के आउट होने के बाद सचिन बल्लेबाजी को उतरे, तो दूसरे छोर पर खड़े नवजोत सिंह सिद्धू को लगा ये बलि का बकरा कहां से आ गया।
पहली ही गेंद पर सचिन घायल हो कर नीचे गिर पड़े। उनकी नाक से खून टपक रहा था। पाकिस्तानी खेमा भी नेशनल टीम से खेल रहे इस बच्चे की हालत देख कर अचंभित था। सभी ने कहा कि सचिन तुम रिटायर हो जाओ, तब पतली सी आवाज में तेंडुलकर ने कहा, "मैं खेलेगा।"
16 साल के बच्चे का जोश देख कर सिद्धू में भी नई ऊर्जा आ गई। सचिन ने डेब्यू पर कुल 15 रन बनाए थे, लेकिन उन 15 रनों ने सचिन को एक ठोस बल्लेबाज के रूप में स्थापित कर दिया।
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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