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बलूचिस्तान में शांतिपूर्ण मतदान कराना चुनौती
क्वेटा। पाकिस्तानी प्राधिकारी हिंसाग्रस्त बलूचिस्तान प्रांत में शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत हैं। इस प्रांत में राजनीतिक दलों के कम से कम दो नेता ऐसे हैं जिनके भाई उन उग्रवादी गुटों से जुड़े हैं जो इन ऐतिहासिक चुनावों का विरोध कर रहे हैं। पाकिस्तान में 11 मई को चुनाव होगा। देश के इतिहास में यह सत्ता का पहला लोकतांत्रिक बदलाव होगा। बलूचिस्तान में कुल 3,794 मतदान केंद्र हैं। इनमें से 2,800 को ‘अत्यंत संवेदनशील’ घोषित किया गया है। इन मतदान केंद्रों में, 11 मई को होने वाले मतदान के लिए 98,600 सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं। बलूचिस्तान के गृह सचिव अकबर दुर्रानी ने विदेशी संवाददाताओं से कहा कि प्रशासन चुनावों के लिए सुरक्षा सहित कई मुद्दों को लेकर मुस्तैद है। साथ ही वह उग्रवादी एवं आतंकवादी गुटों की धमकियां तथा सघन कबायली प्रतिद्वन्द्विता की किसी संभावित घटना से निपटने के लिए भी तैयारियां कर रहा है। सरदार अताउल्ला मेंगल के पुत्र जावेद मेंगल की अगुवाई वाले लश्कर ए बलूचिस्तान सहित कई उग्रवादी गुट चुनावों का विरोध कर रहे हैं। जावेद के भाई और प्रांत के पूर्व मुख्यमंत्री अख्तर मेंगल चुनावों में बलूचिस्तान नेशनल पार्टी के अपने गुट का नेतृत्व करने के लिए, बरसों के आत्मनिर्वासन के बाद हाल ही में पाकिस्तान लौटे हैं। चुनाव लड़ने वालों में पीएमएल (एन) के वरिष्ठ नेता चंगेज मारी भी शामिल हैं। दूसरी ओर उनके भाई हिरबायर मारी एक उग्रवादी गुट ‘बलूच लिबरेशन आर्मी’ का नेतृत्व कर रहे हैं। इस गुट को अधिकारियों ने चुनाव प्रक्रिया के लिए एक बड़ा खतरा करार दिया है। अधिकारियों ने कहा कि कबायली प्रतिद्वन्द्विता और मतभेद बलूचिस्तान के जटिल राजनीतिक परिदृश्य को दिखाते हैं। पाकिस्तान के कुल भूभाग का आधा हिस्सा इस प्रांत में आता है, लेकिन आठ करोड़ से अधिक मतदाताओं में से इस प्रांत में केवल 33 लाख मतदाता ही रहते हैं। क्वेटा के पुलिस प्रमुख मीर जुबैर महमूद ने कहा कि प्रांत में एक अप्रैल से हिंसा की 18 घटनाएं हुई हैं। इनमें आईईडी विस्फोट और ग्रेनेड हमले शामिल हैं। सर्वाधिक भीषण हमला वह था जिसमें पीएमएल (एन) के नेता सनाउल्ला जेहरी, उनके पुत्र, भाई और भतीजे को निशाना बनाया गया। महमूद के अनुसार, एक अन्य हमला झाल मगसी में किया गया, जिसमें प्रत्याशी की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि लेकिन हम लक्षित अभियान चला रहे हैं। हमारी कोशिश है कि चुनाव में समस्या उत्पन्न करने वाले किसी को भी न बख्शा जाए। बलूचिस्तान के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नवाब गौस बख्श बारोजई का दावा है कि उनकी बड़ी सफलता वर्ष 2008 के चुनावों का बहिष्कार करने वाले बड़े राष्ट्रीय दलों को इस बार चुनाव में भाग लेने के लिए राजी करना थी। बारोजई ने कहा कि लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। हमें हमारी कबायली व्यवस्था से आगे बढ कर एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में बदलना होगा। बलूचिस्तान में आम तौर पर मतदान का प्रतिशत कम ही रहा है। वर्ष 2008 में यह प्रतिशत केवल 30.9 ही था। स्थानीय पर्यवेक्षक मानते हैं कि अगले सप्ताह होने जा रहे आम चुनावों में यह प्रतिशत और कम हो सकता है। एक वरिष्ठ पत्रकार शहजादा जुल्फिकार ने कहा कि सरकार चुनाव कराने और वह भी शांतिपूर्ण तरीके से कराने के लिए तैयार है। यहां सेना सहित बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। अलगाववादियों का इरादा चुनाव का बहिष्कार करने का है, ताकि दुनियाभर में यह संदेश जाए कि स्थिति सामान्य है। उन्होंने कहा कि इस बार मतदान का प्रतिशत 10 से 12 के आसपास रह सकता है। अन्य की भी राय है कि हिंसा की धमकी के कारण बड़ी संख्या में मतदाता 11 मई को होने वाले चुनाव से खुद को अलग रख सकते हैं।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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