Re: इधर-उधर से
निम्नलिखित शे’र आपकी सेवा में प्रस्तुत हैं:
सरे महशर हमारा खून ‘बिस्मिल’ रंग लाएगा
अगर दो चार धब्बे रह गए कातिल के दामन पर
(शायर: बिस्मिल)
आज अगर रास भी आ जाये तो होता क्या है
कल बदल जायेगी दुनिया का भरोसा क्या है.
(शायर: मुज़तर इंदौरी)
मैं उनकी महफिले इशरत से कांप जाता हूँ
जो घर को फूंक के दुनिया में नाम करते हैं.
(शायर: इक़बाल)
|