Re: स्त्रियों के बारे में : ओशो .
स्त्री खुद को ही पुरुष से नीचे रखती है। यह तो पुरुष का झूठा भ्रम होता है कि स्त्री उसकी दासी है। जबकि स्त्री में दासी बनने की कला है और उसकी यह कला महत्वपूर्ण है। मतलब साफ है कि स्त्री, पुरुष की दासी नहीं होती। सच तो यह है कि दुनिया के किसी भी कोने में जब कोई स्त्री किसी पुरुष से प्यार करती है तो उसी वक्त वह अपने आपको दासी बना लेती है। क्योंकि ऐसा करके वह अपने आपको मालकिन बना लेती है, वह जीवन का रहस्य समझती है।
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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