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कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही उसकी पसंद की भाषा में हो :न्यायालय
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकार को अपने कर्मचारी के खिलाफ विभागीय जांच और कार्यवाही उसकी पसंद की भाषा में चलानी होगी। न्यायालय ने एक सरकारी कर्मचारी की सजा को इस आधार पर निरस्त कर दिया कि उसके खिलाफ कार्यवाही उसकी इच्छा के अनुरूप हिंदी भाषा में नहीं चलाई गई। शीर्ष अदालत ने कहा कि कर्मचारी की पसंद की भाषा में कार्यवाही नहीं चलाना उसके कारगर बचाव के अधिकार का उल्लंघन करना है। न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति जे एस खेहर की पीठ ने कहा, ‘‘अगर वैसा नहीं किया गया तो यह उस नियम का उल्लंघन करेगा जिसमें कहा गया है कि न्याय न सिर्फ किया जाना चाहिए बल्कि न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए। हालांकि, इस बात को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सावधानी बरती जानी चाहिए कि बचाव का यह अधिकार सिर्फ प्राधिकार द्वारा जुबानी सेवा तक सीमित नहीं हो जाए।’’ पीठ ने कहा, ‘‘नैसर्गिक न्याय के इस पहलू का सार है कि बचाव के लिए अनुशासनात्मक प्राधिकार के समक्ष पर्याप्त और तर्कसंगत अवसर दिया जाना चाहिए और उस नियम से तनिक भी विचलन अवसर से वंचित करना होगा और इसका मतलब कानून की नजरों में कोई अवसर नहीं देना होगा।’’ न्यायालय ने यह आदेश एक सरकारी कर्मचारी की ओर से दायर अपील पर दिया जिसने अपने खिलाफ कार्यवाही और वेतनमान में कटौती की सजा को इस आधार पर चुनौती दी थी कि उसके खिलाफ जांच की कार्यवाही उसकी इच्छा के खिलाफ अंग्रेजी में की गई जबकि वह हिन्दी में चाहता था।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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