Re: !! कुछ गजलें !!
कभी कभी आईना भी झूठ कहता है
अकल से शक्ल जब मुकाबिल हो
पलडा अकल का ही भारी रहता है
अपनी खूबसूरती पे ना इतरा मेरे मह्बूब
कभी कभी आईना भी झूठ कहता है
जुल्म सहने से भी जालिम की मदद होती है
मुर्दा है जो खामोश हो के जुल्म सहता है
काट देता है टुकडों मे संग-ए-मर्मर को
पानी भी जब रफ़्तार से बहता है.
ईशक़ में चोट खा के दीवाने हो जाते हैं जो
नशा उनपे ता उमर मोहब्बत का तारी रहता है
अकल से शक्ल जब मुकाबिल हो
पलडा अकल का ही भारी रहता है
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."
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Last edited by Sikandar_Khan; 08-04-2012 at 10:30 PM.
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