Re: तेनाली राम की कहानियॉ
लोभ विनाश का कारण है
एक नगर में एक सन्यासी रहता था। वह नगर में भिक्षा माँगकर गुजारा करता था। भिक्षा में मिले अन्न में से जो बच जाता, उसे सोते समय अपने भिक्षा-पात्र में रखकर खूँटी पर टाँग देता था। सवेरे वह इस बचे हुए अन्न को मंदिर में सफाई करने वालों में बाँट देता था।
एक दिन उस मंदिर में रहने वाले चूहों ने आकर अपने राजा से कहा- ‘हे स्वामी, इस मंदिर का पुजारी रोज रात को बहुत सारे पकवान अपने भिक्षा-पात्र में रखकर खूँटी पर टाँग देता है। आप आहार के लिए व्यर्थ ही इधर-उधर भटकते हैं। हम तो उस पकवान तक पहुँच नहीं पाते, किंतु आप तो समर्थ हैं। आप उस भोजन तक पहुँच सकते हैं। इस भिक्षा-पात्र पर चढ़कर आप पकवान का आनंद लीजिए। आप चलेंगे तो हमें भी आसानी से पकवान का आनंद मिल जाएगा।’
यह सुनकर चूहों का राजा झुंड के साथ वहाँ जा पहुंचा, जहाँ खूँटी पर भिक्षा-पात्र टँगा था। वह एक ही उछाल में खूँटी पर टँगे भिक्षा-पात्र पर जा चढ़ा। इसके बाद उसने पात्र में रखे स्वादिष्ट पकवान को नीचे गिरा दिया।
सभी चूहों ने पेट भरकर पकवान खाया। राजा चूहे ने भी पेट भकर भोजन किया। इस प्रकार वह हर रात अन्य चूहों को पकवान खिलाया करता और स्वयं भी खाता।
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