Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
(इस कथा का एक अन्य रूप भी पाया जाता है जो इस प्रकार है – देवयानी वहां से अपने पिता शुक्राचार्य के पास आई तथा उनसे
समस्त वृत्तान्त कहाi शर्मिष्ठा के किये हए कर्म पर शुक्राचार्य को अत्यंत क्रोध आया और वे दैत्यों से विमुख हो गयेi इस पर
दैत्यराज वृषपर्वा अपने गुरुदेव के पास आ कर अनेक प्रकार से अनुनय-विनय करने लगेi इस प्रकार अनुनय-विनय किये जाने से
शुक्राचार्य का क्रोध कुछ शान्त हुआ और वे बोले, “हे राजन! मुझे तुमसे किसी प्रकार की अप्रसन्नता नहीं है किन्तु मेरी पुत्री
देवयानी अत्यंत रुष्ट हैi यदि तुम उसे प्रसन्न कर सको तो मई पुनः तुम्हारा साठ देने लगूंगाi” वृषपर्वा ने देवयानी को प्रसन्न
करने के लिये उससे कहा, “हे पुत्री! तुम जो कुछ भी मांगोगी मैं तुम्हें वह प्रदान करूँगाi” देवयानी बोली, “हे दैत्यराज! मुझे आपकी
पुत्री शर्मिष्ठा दासी के रूप में चाहियेi” अपने परिवार पर आये संकट को टालने के लिए शर्मिष्ठा ने देवयानी की दासी बनना
स्वीकार कर लियाi शुक्राचार्य ने अपनी पुत्री देवयानी का विवाह राजा ययाति के साथ कर दियाi शर्मिष्ठा भी देवयानी के साथ
उसकी दासी के रूप में ययाति के भवन में आ गयीi)
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