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Old 11-12-2010, 06:34 PM   #41
amit_tiwari
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Default Re: हिन्दू धर्म - हज़ार करम ???

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Originally Posted by kuram View Post
गीता पढ़ते पढ़ते कृष्ण की एक बात आगे आयी - "धर्म क्या है और अधर्म क्या है इस विषय में पंडित लोग भी भ्रमित हो जाते है तो मनुष्य को चाहिए की सोच विचारकर धर्म और अधर्म का निर्णय करे" अब इससे आगे बेचारा क्या कहेगा. लेकिन हंसी तो तब आयी जब अध्याय ख़त्म होते ही उस अध्याय के पीछे उसका महात्म्य था जिसमे एक तोते को विष्णु भगवान् के दूतो ने यमदूतो से खाली इसलिए छीन लिया क्योंकि उसने सात आठ बार एक ऋषि के आश्रम में यह अध्याय सुना था. और तोते को वैकुण्ठ मिल गया.
हाहाहा आपकी बात सही है बन्धु | इसका असल कारण यह है की बाद के कालों में हर पुस्तक में काफी सारे अध्याय जोड़ के ऐसी जाने कितनी कहानियाँ जोड़ दी गयीं हैं | जैसे उदाहरण के लिए ऋग्वेद का ही दूसरा और दसवां अध्याय बाद के काल में लिखे गए | तो ये कुछ अवशिष्ट बाद के काल में आ अवश्य गए किन्तु इन्हें सहज बुद्धि से पढ़ कर आराम से अलग किया जा सकता है |

वैसे मुझे पता है की आप यहाँ अधिक लम्बा लेख नहीं लिख सकते, व्यावसायिक मजबूरियां हैं किन्तु एक सारगर्भित लेख की आशा अवश्य है आपसे बन्धु |
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