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Old 11-12-2010, 07:24 PM   #14
Sikandar_Khan
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Default Re: कुछ सीख देने वाली कहानियाँ (inspiring stories)

इक बूढी , इक बूढा और इक छोटा सा कमरा .................


आज के व्यस्त माहौल से कुछ समय निकला है ,
और इक अजीज के घर डेरा डाला है .
पंहुचा दरवाजे पर तो गजब का सत्कार हुआ ,
नास्ते पानी का बेहतरीन व्यवहार हुआ .
भाभी जी ने मुस्कुरा कर नमस्कार किया ,
भतीजी भतीजों ने झुक कर प्रणाम किया .
हालचाल के सिलसिले की शुरुआत हुई ,
कुछ पुरानी यादों की भी बात हुई .
पर मेरा ध्यान तो उनके बंगले पर था ,
उसके कंगूरों और आँगन के जंगले पर था .
थकहार कर मैंने उनसे पूँछ ही डाला ,
क्या तुमने था कही पर डाका डाला .
तो मुस्कुराकर महाशय जी बोले ,
की मेरे हिस्से में आये थे इतने ही धेले .
उनसे ही यह घर बनवाया है ,
कालीन और सब साज से सजवाया है .
देखो कितनी मेहनत से डिजाईन करवाया था ,
बड़े मुश्किल से बाबूजी को पटाया था .
इतना सुनते ही मेरे मन में इक बात आई ,
उनके माँ -बाबू जी की हमे याद आई .
बस मैं झट से बोला की बाबूजी से मिलवाओ ,
जरा माता जी के भी दर्शन करवाओ .
इतना सुनकर भाभी जी ने मेरी और चाय बढाई ,
और बोली की मिल लेना अभी तो आप आये है भाई .
पर मैं
"अंजना "
हूँ अपनी जिद का पक्का था ,
अब उनसे ही मिलने का इरादा कर रखा था .
हार कर मित्र मुझे बंगले के पीछे ले जाते है ,
और इक छोटा सा कमरा मुझे दिखाते है .
उक कमरे में इक बूढा इक टूटी चारपाई पर लेटा है ,
ना कोई साज है न कोई सज्जा का रेता है .
इक बुढिया बूढ़े के पैर दबाती है ,
नम आँखों को अपने अंचल से छुपाती है .
इतना देखकर सारा नज़ारा साफ़ हुआ ,
धन का भूत मेरे सिर से ख़ाक हुआ .
हे रे मानुष !! तू अपने कर्मो पे शर्मा तो जरा !
इक बूढी , इक बूढा और इक छोटा सा कमरा .................इक छोटा सा कमरा
__________________
Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..."

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Last edited by Sikandar_Khan; 11-12-2010 at 08:10 PM. Reason: edit
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