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Originally Posted by video master
घर की तामीर चाहे जैसी हो
इसमें रोने की जगह रखना!
जिस्म में फैलने लगा है शहर
अपनी तनहाइयाँ बचा रखना!
मस्जिदें हैं नमाजियों के लिए
अपने दिल में कहीं खुदा रखना!
मिलना-जुलना जहाँ जरुरी हो
मिलने-जुलने का हौसला रखना!
उम्र करने को है पचास को पार
कौन है किस पता रखना!
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सुंदर , अति सुंदर ! दिल को छूने वाली रचना को हमारे लिए प्रस्तुत करने पर निःसन्देह बधाई के पात्र हैँ ।