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ABHAY
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Post Re: मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी

मुल्ला नसरुद्दीन-11
मुल्ला की मुलाकात रईस के सिपाही से

(पिछले बार आपने पढ़ाः मुल्ला ने बेचा टैक्स अफसर का घोड़ा)

…सुबह शहर के फाटक की घटनाओं की याद आते ही वह भयभीत होकर सोचने लगा कि कहीं ये सिपाही उसे पहचान न लें। ...तभी किसी ने उसे पुकारा...मुल्ला नसरुद्दीन ने पलटकर देखा।...बड़ा-सा साफ़ा बाँधे और क़ीमतों खिलअत पहने एक आदमी गाड़ी के पर्दों से बाहर झाँक रहा था।...अजनबी ने खूबसूरत अरबी घोड़े को देखते हुए उसकी प्रशंसा करते हुए अकड़कर कहा, ‘मुझे यह घोड़ा पसंद है। बोल, क्या यह घोड़ा बिकाऊ है?’मुल्ला नसरुद्दीन ने बात बनाते हुए कहा, ‘दुनिया में कोई भी ऐसा घोड़ा नहीं, जिसे बेचा न जा सके।’
......मुल्ला उसे टैक्स अफसर का घोड़ा बेचकर निकल जाता है)

उसके आगे

मुल्ला की मुलाकात रईस के सिपाही से

लेकिन थोड़ी दूर जाकर उसने फिर पीछे मुड़कर देखा। वह अजनबी रईस और टैक्स अफसर एक-दूसरे से गुथे हुए थे और एक-दूसरे की दाढ़ियाँ नोच रहे थे। सिपाही उन्हें अलग करने की बेकार कोशिश कर रहे थे।

‘अकलमंद लोग दूसरों के झगड़ों में दिलचस्पी नहीं लेते।’ मुल्ला नसरुद्दीन ने मन-ही-मन कहा और गली-कूचों में चक्कर काटता हुआ काफ़ी दूर निकल गया।

जब उसे विश्वास हो गया कि अब वह पीछा करने वालों से बच गया है, उसने गधे की लगाम खींची, ‘ठहर जा, अब कोई जल्दी नहीं है।’

लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। एक घुड़सवार तेज़ी से सड़क पर आ गया था। यह वही चेचक के दाग़ों से भरे चेहरे वाला नौकर था। वह उसी घोड़े पर सवार था। अपने पैर झुलाते हुए वह तेजी से मुल्ला नसरुद्दीन की बग़ल से गुज़र गया लेकिन अचानक घोड़े को सड़क पर आड़ा खड़ा करके रुक गया।

मुल्ला नसरुद्दीन ने बड़ी विनम्रता से कहा, ‘ओ भले मानस, मुझे आगे जान दे। ऐसी तंग सड़कों पर लोगों को सीधे-सीधे सवारी करनी चाहिए। आड़े-आड़े नहीं।’ नौकर ने हँसी के साथ कहा, ‘अब तुम जेल जाने से नहीं बच सकते। तुम्हें मालूम है, घोड़े के मालिक उस अफसर ने मेरे मालिक की आधी दाढ़ी नोच डाली है। मेरे मालिक ने उसकी नाक से खून निकाल दिया है। कुल तुम्हें अमीर की अदालत में पेश किया जाएगा।’

मुल्ला नसरुद्दीन ने आश्चर्य से पूछा, ‘क्या कह रहे हो तुम? ऐसे इज्ज़तदार लोगों की इस तरह झगड़ने की वजह क्या है? तुमने मुझे रोका क्यों है? मैं तो उनके झगड़े का फैसला कर नहीं सकता। अपने आप करने दो उन्हें फैसला।’

‘खामोश!’ नौकर चिल्लाया, ‘वापस चल। तुझे घोड़े के लिए जवाब देना होगा।’
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