Re: पथ के दावेदार
शशि बोला, “मकान छोड़कर आ रहा हूं।” फिर गाड़ीवान को आदेश दिया, “सामान ऊपर ले जाओ।”
भारती बोली, “ऊपर जगह कहां है शशि बाबू?”
शशि बोला, “बहुत अच्छा, तो नीचे के कमरे में रख दो।”
भारती बोली, “नीचे के कमरे में तो पाठशाला है।”
शशि चिंतित हो उठा।
भारती ने उसे तसल्ली देते हुए कहा, “एक काम किया जाए शशि बाबू! होटल में डॉक्टर का कमरा खाली है। आप वहां अच्छी तरह रहेंगे। खाने-पीने का भी कष्ट नहीं होगा। चलिए।”
“लेकिन कमरे का किराया तो देना होगा?”
भारती हंसकर बोली,'नहीं। भैया छ: महीने का किराया दे गए हैं।”
शशि प्रसन्न न होते हुए भी इस व्यवस्था से सहमत हो गया। सारे सामान के साथ कवि को महाराज के होटल में प्रतिष्ठित करके भारती ऊपर अपने सोने के कमरे में लौट आई।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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