Re: हर समय श्रेष्ठ : गीत
इत्तफाकन शराब पीता हूँ
अह्तियातन शराब पीता हूँ
जब ख़ुशी मुझसे रूठ जाती है
मैं इन्तकामन शराब पीता हूँ
जख्म सीने की कसम खा लूँगा
साथ जीने की कसम खा लूँगा
आज जी भर के पिला दे साकी
कल से ना पीने की कसम खा लूँगा
जाम से जाम को टकरा के पियो
हमसे अपनी नज़र मिला के पियो
देखने में शराब पानी है
इसमे पोशीदा जिंदगानी है
|