Re: इधर-उधर से
(1)ग़ज़ल
श्री राम नाथ सिंह 'अदम गोंडवी'
मुक्तिका़मी चेतना अभ्यसर्थना इतिहास की
यहसमझदारों की दुनिया है विरोधाभास की।
यक्ष प्रश्नों मेंउलझकर रह गयी बूढी सदी
क्या प्रतीक्षा की घडीहै या हमारे प्यास की।
इस व्यवस्था ने नई पीढ़ी की आखिर क्या दिया
सेक्स की रंगिनिया या गोलियां सल्फास की।
Last edited by dipu; 03-07-2013 at 02:46 PM.
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