07-07-2013, 08:47 AM
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अपनी वेबसाइट कैसे बनाएं
पिछले कुछ हफ्तों से हम वेबसाइट कैसे बनाएं विषय पर एक सीरीज चला रहे हैं। इस सीरीज की अंतिम कड़ी में हैं वे सभी स्टेप्स, जिनका इस्तेमाल करने पर आपके सामने होगी आपकी वेबसाइट।
इंटरनेट पर वेबसाइट का ठिकाना यानी वेब सर्वर
वेबसाइट के लिए डोमेन नेम लेने के बाद आपका अगला कदम होता है एक अदद वेब सर्वर की तलाश जहां आप कुछ स्पेस ले सकें। स्पेस का मतलब है, इंटरनेट से जुड़े सर्वर कंप्यूटर की हार्ड डिस्क में कुछ मेगाबाइट या गीगाबाइट की जगह, जिस पर आप अपनी वेबसाइट की फाइल्स रखेंगे। आपकी वेबसाइट दूसरों को तभी दिख सकती है जब वह किसी तरह इंटरनेट पर पहुंचे और इसीलिए वेब सर्वर पर साइट के लिए होस्टिंग स्पेस लेना जरूरी है। हालांकि इसके दूसरे विकल्प भी हैं, लेकिन वे एडवांस्ड लेवल के प्रफेशनल्स के लिए हैं।
अगर आप गूगल पर वेब होस्टिंग सर्च करेंगे तो लाखों नतीजे सामने आएंगे। यह दिखाता है कि इंटरनेट की दुनिया में कितनी कंपनियां और फर्म्स आपकी वेबसाइट को जगह देने के लिए आतुर हैं। होस्टिंग स्पेस पाने के लिए आपको पैसा खर्च करना होता है। भारत में वेब होस्टिंग के सालाना प्लान ज्यादा लोकप्रिय हैं। बहरहाल, प्लान से ज्यादा जरूरी है भरोसेमंद कंपनी और अच्छे वेब सर्वर का चुनाव क्योंकि वह आपकी वेबसाइट की कामयाबी या नाकामी में अहम भूमिका निभा सकता है।
वेब होस्टिंग कंपनियां
भारत में लोकप्रिय कुछ प्रमुख देशी-विदेशी वेब होस्टिंग कंपनियां इस तरह हैं :
1. bigrock.in
2. godaddy.com
3. network solutions.com
4. network solutions.comnety.in
5. hostgator.com
6. siliconhouse.net
7. economicalhost.com
8. manashosting.com
9. speedhost.com
10. hostingraja.in
इन पर 30 रुपये महीने (nety.in का बेसिक अकाउंट) से लेकर 15-20 हजार रुपये महीना तक की दरों पर वेब होस्टिंग स्पेस उपलब्ध है। स्पेस के लिए कितना धन लिया जाएगा, वह इन बातों पर निर्भर करता है:
- कितना सर्वर स्पेस लिया गया है (मेगाबाइट या गीगाबाइट में)
- आपके लिए रिजर्व बैंडविड्थ कितनी है
- सर्वर विंडोज आधारित है या लिनक्स आधारित
- सर्वर किस तरह का है - शेयर्ड या डेडिकेटेड
- वेब होस्टिंग कंपनी भारतीय है या विदेशी
बैंडविड्थ: हर बार आपका वेब पेज खोले जाने पर कुछ डेटा डाउनलोड होता है। अलग-अलग पाठकों द्वारा जितनी बार वेबसाइट खोली जाएगी, डाउनलोड होने वाले कुल डेटा की मात्रा उतनी ही बढ़ती जाएगी। बैंडविड्थ का मतलब सर्वर पर होने वाली डेटा की आवाजाही की सीमा से है यानी कुल कितना डेटा आपकी वेबसाइट से डाउनलोड हो सकता है और कितना उस पर अपलोड किया जा सकता है।
शेयर्ड होस्टिंग: एक ही सर्वर पर जब सैकड़ों-हजारों वेबसाइटों को रख दिया जाए तो माना जाता है कि सर्वर स्पेस उन सबके बीच शेयर किया गया है। यह सस्ता होता है।
डेडिकेटेड होस्टिंग: जब कोई सर्वर सिर्फ आपकी वेबसाइट के लिए ही इस्तेमाल किया जाए। ऐसे में सर्वर की सारी कम्प्यूटिंग पावर, स्पेस और रफ्तार सिर्फ आपके लिए सुरक्षित होती है, बहुत सारी वेबसाइट्स के बीच बंटती नहीं, लेकिन ऐसी होस्टिंग महंगी होती है।
सर्वर का चुनाव करते समय ध्यान रखें
- कीमत कॉम्पिटीटिव हो।
- होस्टिंग स्पेस ज्यादा हो।
- बैंडविड्थ ज्यादा हो। अनलिमिटेड हो तो बहुत अच्छा।
- डेटा के नियमित बैकअप की व्यवस्था हो।
- वायरसों और स्पाइवेयर से सुरक्षा का इंतजाम हो।
- जरूरत पड़ने पर तकनीकी मदद और कस्टमर सपोर्ट की व्यवस्था।
- फ्री कस्टमाइज्ड (आप@आपकीसाइट.कॉम) ई-मेल अकाउंट की सुविधा।
- साइट से ई-मेल, कस्टमर फीडबैक आदि रिसीव करने की सुविधा।
- वर्डप्रेस, जूमला, द्रूपल जैसे सीएमएस इस्तेमाल करने की सुविधा।
- होस्टिंग अगर शेयर्ड है तो उस पर होस्ट की गई वेबसाइटों की संख्या कम हो।
देशी बनाम विदेशी होस्टिंग
देश में ही सर्वर स्पेस लिया जाना बेहतर होता है क्योंकि आमतौर पर ऐसी साइट्स विदेशी सर्वरों पर होस्ट की गई साइट्स से तेज खुलती हैं। दूसरे, तकनीकी मदद की जरूरत पड़ने पर देशी कंपनियों से फोन पर या खुद संपर्क करना मुमकिन है, जो विदेशी कंपनियों के साथ आम तौर पर मुमकिन नहीं हो पाता। अमेरिका और कई दूसरे पश्चिमी देशों में वीकेंड हॉलिडे काफी लंबे होते हैं। अगर वहां छुट्टी चल रही हैं, तो कोई समस्या आने पर आप अटक जाएंगे। हालांकि देशी कंपनियां विदेशियों की तुलना में सर्वर स्पेस के लिए ज्यादा कीमत वसूलती हैं।
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