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Old 09-07-2013, 05:26 PM   #1
dipu
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Default आरटेट मामले में सुप्रीम कोर्ट जाएगी राजस्

आरटेट के मामले में राज्य सरकार हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करेगी। हाई कोर्ट की खंडपीठ ने आरटेट-2011 के परिणाम को रद्द कर दुबारा परिणाम जारी करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती में चयन सूची दुबारा जारी करने के लिए कहा है। राज्य सरकार के स्तर पर इस फैसले का गहनता से अध्ययन करने के बाद यह निर्णय लिया गया है।


राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता एस.एन. कुमावत ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सरकार की ओर से पक्ष रखा जाएगा कि राज्य सरकार को आरक्षित वर्ग को अंकों में छूट देने का अधिकार है। इसका उल्लेख एनसीटीई के दिशा-निर्देशों में भी है, उसकी पालना में ही सरकार ने छूट दी थी। कुमावत ने बताया कि दूसरे राज्यों में भी 40 प्रतिशत तक अंकों में छूट दी हुई है। किसी अभ्यर्थी ने आरटेट को चुनौती नहीं दी थी और भर्ती के समय ही इस मुद्दे को उठाया, जो गलत है।


पंचायती राज विभाग की सचिव अपर्णा अरोड़ा ने बताया कि मुख्यमंत्री के स्तर पर आरटेट के मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया गया है। इस संबंध में अधिकारी दिल्ली गए हैं। उन्होंने बताया कि जल्द ही मामला कोर्ट में पेश किया जाएगा।


क्या होगा असर
सुप्रीम कोर्ट जाने पर इस मामले में हाई कोर्ट से स्टे मिलने पर सरकार और अभ्यर्थियों दोनों को ही राहत मिलने की उम्मीद है। इससे 55 प्रतिशत से कम अंक वाले 4,200 से अधिक अभ्यर्थियों को खास तौर से राहत मिल सकती है, जिनको हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार नौकरी से हटाए जाने की आशंका थी। इन अभ्यर्थियों ने राज्य सरकार की ओर से जारी आरक्षण नीति के अनुसार ही आवेदन किया था।



चुनावी साल में सरकार को भी ऐेसे अभ्यर्थियों को हटाने का कठोर कदम फिलहाल नहीं उठाना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट में जाने की दशा में उन 4,894 अभ्यर्थियों के ज्वाइनिंग का मामला अटक सकता है। इन अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट के स्टे के कारण ज्वाइन नहीं किया था। इसके साथ ही आरटेट की परीक्षा के परिणाम घोषित करने में भी देरी होने की संभावना है।
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