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ग़ज़ल - है ग़रीबी . . .
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09-07-2013, 08:33 PM
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8
jai_bhardwaj
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Re: ग़ज़ल - है ग़रीबी . . .
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आकाश महेशपुरी
सोचा था उससे अधिक,
दिया आपने प्यार।
दिल मेरा गदगद हुआ,
करेँ नमन स्वीकार।।
- आकाश महेशपुरी
हम नमन करें स्वीकार, सुनो हे कविता-स्वामी |
तुम उदयाचल के बाल सूर्य,'जय' अस्ताचलगामी||
मंगलकामनाओं सहित आभार बन्धु।
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।
कभी कभी -->
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