Re: अहसास
गुजर चुका है उम्मीदों का काफिला कब का
राह ए यकीं पे अब भी गुबार बाकी है
हमें पुकार लो जब चाहो हम मिलेंगे यहीं
मिले हैं ख़ाक में लेकिन वकार बाकी है
(राह ए यकीं>विश्वास की डगर। गुबार>उडती हुयी धूल। ख़ाक>राख । वकार> स्वाभिमान)
Last edited by rajnish manga; 11-07-2013 at 12:03 AM.
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