Re: एक शाम .. तुम्हारे नाम
"क्यों तुम्हे ऐसा क्यों लगा की तुम पहली लड़की हो जो मेरे गाड़ी के फ्रंट सीट पर बैठी हो?"
"ओह अच्छा, तो क्या कोई और बैठ चुकी है? देखो साहब तुम मुझसे कह सकते हो...मैं किसी से नहीं कहूँगी"
"पागल हो क्या, ऐसा कुछ भी नहीं है..."
"अच्छा तो सुनो न, एक बार एक बार वो डायलोग कह तो दो ज़रा...मुझे अच्छा लगेगा..."
उसकी आवाज़ में कोई जबरदस्ती या जिद नहीं थी बल्कि उसने इतने विनम्रता से कहा था की मुझसे आगे कुछ भी न कहा जा सका..ना तो मैंने उसे इस जिद के लिए डांटा और नाही चिढाया....मैंने उसका मन रखने के लिए वो डायलोग दोहरा दिया.इस बार उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कराहट फ़ैल आई थी..
"तुम सच में बहुत अच्छे हो..." उसने कहा और मेरे कंधे पर अपना सर रख दिया..I missed you so much". उसने आँखें बंद करते हुए कहा.
हम पार्क के मेन गेट के पास पहुँच चुके थे..
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