Re: एक शाम .. तुम्हारे नाम
"ऐसे मुझे क्या देख रहे हो?तुम क्या सोच रहे हो?" उसने पूछा
"कुछ नहीं...
...बस यही की तुम्हारी शादी होगी तो तुम कैसी दिखोगी? तुम्हारे माथे पर जब सिन्दूर लगेगा तो तुम कैसी दिखोगी...बहुत खूबसूरत दिखोगी तुम..."
उसकी आँखें अनायास ही मुझपर उठ आई..कुछ देर तक वो आँखें मेरे चेहरे पर स्थिर रहीं फिर धीरे धीरे नीचे गिर गयीं.वो एक गाने के बोल गुनगुनाने लगी थी..."लग जा गले कि फिर ये हसीं 'शाम' हो न हो / शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो ".उसने गाने के बोल में 'रात' की जगह 'शाम' गाया था और गाने के बीच की पंक्ति में आकर वो ठहर गयी...
हमको मिली हैं आज, ये घड़ियाँ नसीब से
जी भर के देख लीजिये हमको क़रीब से
फिर आपके नसीब में ये बात हो न हो
वो बिलकुल चुप हो गयी...उसकी नज़रें फिर से मेरे ऊपर उठ आयीं थी....और मेरी नज़र उसकी बड़ी सी गोल बिंदी पर जाकर ठहर गयीं थी...कुछ देर तक मैं इंतजार करते रहा की वो गाना फिर से शुरू करेगी, लेकिन वो बिलकुल खामोश हो गयी और गाने आगे गाने के बजाये मुझसे ही कहने लगी...
"कोई दूसरा शेर सुनाओ न...जाने क्यों आज तुमसे सिर्फ शायरी और कवितायेँ सुनने का दिल कर रहा है...."
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