Re: इनसे सीखें जीने का अन्दाज़
बनीं कैंसर मरीजों की ‘देवदूत’
हिम्मत रखने वालों की कभी हार नहीं होती। यह बात कैंसर से निजात पा चुकी इंद्रा जसूजा और सुनीता अरोड़ा पर पूरी तरह लागू होती है। कुछ सालों पहले कैंसर को मात देने के बाद आज इंद्रा और सुनीता लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक कर रही हैं, ताकि उनकी तरह बाकी लोग भी कैंसर से बच सकें। स्कूल्स, कॉलेज तथा अस्पतालों में जाकर कैंसर अवेयरनेस के लिए काम करने वाली इंद्रा कैं सर होने से पहले ही इस काम से जुड़ चुकी थीं। बाद में इलाज के दौरान सुनीता उनके सम्पर्क में आर्इं। उस समय सुनीता ने कैंसर के बारे में काफी लिटरेचर भी पढ़ा और वह भी कैंसर पीड़ितों की मदद के बारे में सोच रही थीं। ऐसे में सुनीता इंद्रा के साथ जुड़ गर्इं और दोनों ने स्कू ल्स और अस्पतालों में जाकर काम करना, प्रशिक्षण लेना तथा कैंसर पीड़ितों की हौसला अफजाई करना शुरू कर दिया। कैंसर पीड़ितों के प्रति दया भावना भले ही खुद पीड़ा झेलने के बाद आई हो, पर इंद्रा पहले से ही एक मेंटल हॉस्पिटल में कार्यरत थीं। पहले वह किसी संस्था से जुड़ना नहीं चाहती थीं, इसलिए उन्होंने मानसिक रोगियों की देखभाल तथा उनकी काउंसलिंग का काम किया था। उन्होंने बाकायदा मेडिकल साइकोलॉजी में नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ न्यूरो साइंसेस, बेंगलूरु से कोर्स किया था। वहीं, सुनीता दिल्ली प्रशासन में स्कूल शिक्षिका थी और उन्हें लोगों का सहयोग करने में संतुष्टि मिलती थी। ऐसे में उन्होंने इस बीमारी से उबरने के बाद लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। सुनीता का कहना है कि इस बीमारी में कीमोथैरेपी के बाद मरीज में बहुत कमजोरी आ जाती है, तब वह अपने आपको असहाय महसूस करने लगता है। उस समय उसे शारीरिक और मानसिक सम्बल भी चाहिए होता है। इस दर्द को इलाज की प्रक्रिया से गुजर चुका इंसान ही समझ सकता है। सुनीता लोगों की भावनाओं को समझते हुए यह करने की कोशिश करती हैं। छह साल पहले पति की मृत्यु के बाद से इंद्रा अकेली रहती हैं, पर उन्होंने खुद पर अकेलापन हावी नहीं होने दिया। वह हमेशा कैंसर पीड़ितों की सेवा में लगी रहती हैं। कहीं जागरुकता संदेश तो कहीं पर इनकी नि:स्वार्थ सेवा, कहीं जांच शिविर तो कहीं आॅपरेशन में सहयोग करने में व्यस्त रहती हैं। इंद्रा का कहना है कि 12 साल पहले मुझे कैंसर हो गाया था। कैंसर के प्रति जागरूक होने के कारण मैंने शुरू में ही डॉक्टर को दिखाया और आॅपरेशन करवाया, जिससे मुझे कैंसर से निजात मिल गई। वहीं, सुनीता को छह साल पहले पता चला कि उन्हें कैंसर है। उन्होंने भी सकारात्मक सोच के साथ इलाज करवाया और ठीक हो गर्इं।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
|