19-08-2013, 12:21 AM
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Super Moderator
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Re: जीवन की छोटी छोटी पर महत्वपूर्ण बातें
मां से करनी हैं छोटी-छोटी बातें
मां....!
बहुत छोटी छोटी दो चार बातें कहनी थीं तुमसे
तुम्हें बहुत हंसी आती सुनकर
तुम्हारे सिवा किसी दूसरे को इससे मतलब भी नहीं
होगा भी तो कोई तुम जैसा समझ नहीं पाएगा मां
समझेगा भी तो मजा नहीं आएगा उसे.......
तुम्हें बताना था कि आज सुबह चाय बनाते हुए
चीनी की जगह नमक डाल दिया मैंने
पर किसी ने नहीं कहा, तू बुद्धू ही रहेगा
तुझसे नहीं बनेगी चाय, हट मैं बनाती हूं....।
मां, तुम्हें बताना था कि आज पिता को
मैंने गोलगप्पे खिला दिए
जो वे कभी नहीं खाते...और कितना मजेदार कि सारा पानी तो
प्लेट में ही ही निकल गया
गोलगप्पा मुंह में रखने से पहले....
तुम्हें बताना था कि
वो जो गली के नुककड़ की दुकान वाला नहीं है,
छोटी छोटी दाढ़ी वाला....उसने साबुन में एक रुपया ज्यादा काट लिया,
बेईमान कहीं का....
पर किसी ने नहीं समझाया कि
करेगा सो भरेगा....तू एक रुपये के लिए जान मत दे....
मां, तुम हमेशा डांट लगाती थीं ना
कि हर सब्जेक्ट की कॉपी के पीछे वाले पन्ने कविताओं से क्यों भर देता हूं
अब देख कितने सारे लोग बुलाते हैं यही कविताएं सुनने को....मुझे
देख ये शॉल भी ओढ़ाया, और......
तू जानती है ना कितना अच्छा भाषण दे लेता हूं
बड़ी बड़ी गोष्ठियों, जलसों...सभाओं में अब भी देता हूं
उदारवाद, बाजारवाद, विदेशी पैसा, शिक्षा की जरुरत.....सब कहता हूं
बड़े बड़े लोग सुनते हैं....बडी बड़ी बातें करता हूं.....
बस छोटी छोटी बातें सुनने को कोई नहीं है मां
तू तो छोटी छोटी बातों पर कितना खुश हो जाती थीं
बड़ी बड़ी बातें जीने का दिखावा करने को ठीक हैं
पर जीना तो इन्हीं छोटी छोटी बातों में ही होता है ना....
तू सुनती तो तुझे कितना मजा आता हर बात में
तू सुनती तो मुझे कितना मजा आता जीने में......
तू प्याज काटने को कहती थीं....तो काटते काटते रोता था
अब भी रोता हूं मां.....प्याज काटते....काटते......
कितनी छोटी छोटी बातें हैं मां,
जीना तो छोटी छोटी बातों में ही होता है....तुझे तो पता है मां.....
तू सुन लेती तो .....तू सुन तो लेती ना एक बार.....
- माया मृग
Last edited by rajnish manga; 19-08-2013 at 12:26 AM.
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