Re: अघोषित आलसी का इकबालनामा
सितम ढहती कुछ चुटकियाँ........
बहुत कविता कर ली, पर चैन नहीं आया..... ख़बरें और आ रही है..... दिल को झंझ्कोर कर रख रही है..... वास्तविकता है ...... चुटकियाँ है.... अरे नहीं आपके लिए नहीं .......... पर दौलतमंद दलालों के लिए तो मात्र चुटकियाँ हैं .......
पढ़ लीजिए...... और दर्द महसूस कीजिए...... क्योंकि जो दर्द था वो तो सौदागर ले गया....
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