Re: इधर-उधर से
चतुर व्यापारी और चोर
एक डरपोक लेकिन चतुर व्यापारी के घर में चोर घुसने पर वह अपनी पत्नी के कान में चोरों को चकमा देने की तरकीब बताने के बाद जोर से बोला- सुनती हो। आज मैं जो थैली भर राई लाया था, वह संभालकर तो रख दी है ना। दुनिया में राई की माँग बढ़ने से कल से इसके दाम आसमान छूने लगेंगे।
एक थैली राई लाखों रुपए की होगी। अगर वह थैली किसी के हाथ लग गई तो अपने तो भाग्य ही फूटेसमझो। खैर छोड़ो, वैसे भी रात में कौन आएगा। पत्नी बोली- अरे तुम निश्चिन्त होकर सो जाओ। मैंनेथैली संभालकर टाँड पर रख दी है। उसके बाद दोनों चुप होकर खर्राटे भरने लगे, जैसे कि सो गए हों।
उसकी तरकीब काम कर गई। चोर इधर-उधर हाथ मारने की बजाय राई की थैली लेकर चलते बने। वे अगले दिन थैली लेकर उसे बेचने बाजार पहुँचे, लेकिन राई के दाम तो बढ़े नहीं थे। चोरों को समझ में नहीं आ रहा था कि माजरा क्या है। भाव पूछते हुए वे उसी व्यापारी की दुकान पर पहुँच गए जिसके यहाँ उन्होंने चोरी की थी।
एक चोर ने पूछा- क्यों सेठ, राई का क्या भाव है? व्यापारी अपनी थैली पहचान गया। वह मुस्कुरा कर बोला- भैया, राई के भाव तो रात की रात में ही गए। चोर उसकी बात समझ गए और सिर धुनते हुए चुपचाप वहाँ से खिसक लिए।
दोस्तो, उस व्यापारी ने राई का पर्वत बनाकर घर को लुटने से बचा लिया यानी छोटी-सी चीज को बातों के लब्बोलुबाब से उसने इतना बढ़ा-चढ़ाकर बताया कि अच्छे-अच्छे उसके झाँसे में आ जाएँ, फिर वे तो चोर थे। इसी कारण कहते हैं कि कभी भी किसी की बात पर विश्वास करने से पहले देख लो, सोच-विचारकर लो कि कहीं उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर तो नहीं बताया जा रहा।
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Last edited by rajnish manga; 23-08-2013 at 02:22 PM.
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