Re: प्रेम विवाह उचित या अनुचित !
सामान्यतः हम प्रेम और आकर्षण मेँ अन्तर नहीँ कर पाते । जवानी की दहलीज पर किसी विलिँगी को देखकर उठी हिलोरेँ प्रेम नहीँ वस्तुतः आकर्षण मात्र होती है और इसके वशीभूत किया गया विवाह प्रायः असफल रहता है क्योँकि आकर्षण क्षणभंगुर होता है । जबकि प्रेम शाश्वत है उसमेँ समर्पण है उसमेँ देने की कामना है कुछ पाने की कल्पना ही नहीँ । अब जिस रिश्ते मेँ इतनी खूबियोँ का समावेश होगा , भला कैसे वह अनुचित होगा । रिश्तोँ की सफलता के पीछे जो आधारभूत तत्व चाहिए यथा मिठास और सामंजस्य , वो है इसमेँ । अब आते हैँ व्यवहारिक धरातल पर जिस सन्दर्भ मेँ यह प्रसंग उठाया गया है मेरी मान्यता है कि विचारोपरान्त अपने लिए उचित इस रिश्ते मेँ गत 25 - 30 वर्षोँ के अनमोल रिश्तोँ की भी खुशी को स्थान देना होगा ।
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