Re: सब फ़िल्मी है
१६ सितंबर से रात साढ़े आठ बजे स्टार प्लस पर स्वस्तिक फिल्म कंपनी के सिद्धार्थ तिवारी के ‘महाभारत’ सीरियल का प्रदर्शन होने जा रहा है। ज्ञातव्य है कि लगभग तीस वर्ष पूर्व बलदेवराज चोपड़ा की ‘महाभारत’ दूरदर्शन पर दिखाई गई थी, जिसे राही मासूम रजा ने लिखा था। यह भी सुना है कि एक बड़े औद्योगिक घराने के टेलीविजन विंग ने भी एक ‘महाभारत’ बना लिया है, जिसमें युद्ध के पश्चात सारे महत्वपूर्ण पात्रों को आरोपों के घेरे में लिया जाता है और वे अपनी भूमिका का स्पष्टीकरण देते हैं। कथा-प्रस्तुति का यह ढंग न्यूरमबर्ग ट्रायल से प्रेरित हो सकता है। ज्ञातव्य है कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जर्मन अफसरों और हिटलर के निकट लोगों पर मुकदमा चला था, जिस पर अनेक कथाएं लिखी गई हैं, अनेक फिल्में बनी हैं और अंदाजे बयां की श्रेणी में लियोन यूरिस की पुस्तक ‘क्यू. बी. सात’ लाजवाब है। ‘महाभारत’ पर एकता कपूर फिर हाथ आजमाने वाली हैं। एक बार इसी ‘होम’ में उनके हाथ झुलस चुके हैं।
इस समय समाज में चल रही हिंदुत्व की लहर, जिसे राजनीतिक स्वार्थ से चलाया गया है, का लाभ धर्म प्रेरित सीरियलों को मिल रहा है और इस सीरियल-गंगा में सभी हाथ धोने के लिए आतुर हैं। अगर सारे चैनल अपनी-अपनी लेखन टीम को मिलकर नीति तय करने दें तो सभी चैनल ‘महाभारत’ प्रस्तुत कर सकते हैं और सारे संस्करण एक-दूसरे से अलग होकर भी ‘महाभारत’ ही कहलाएंगे। वेदव्यास के आठ हजार श्लोक के मूल पाठ में अनेक कल्पनाशील लोगों ने अपना योगदान दिया है और आज २७ हजार से लेकर एक लाख श्लोक तक के संस्करण उपलब्ध हैं। इसकी उपकथाओं के डोरे के भीतर डोरा है और कोई भी विलक्षण व्यक्ति इसकी कथाओं के चक्रव्यूह को भेद नहीं सकता।
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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