नई किताब
जब ‘दम मारो दम ’ सुनकर उठकर चले गए थे एस डी बर्मन
संगीतकार सचिन देव बर्मन अपने बेटे आर डी बर्मन की ‘हरे रामा, हरे कृष्णा’ फिल्म के लिए तैयार की गयी संगीत रचना ‘दम मारो दम’ को सुनकर इतने दुखी हुए थे कि रिकार्डिंग स्टूडियो से ही उठकर चले गए थे । महान संगीतकार एस डी बर्मन के बारे में इसी प्रकार की कई अन्य रोचक और दिलचस्प जानकारियां खगेश देव बर्मन द्वारा लिखी गयी किताब ‘एस डी बर्मन : द वर्ल्ड आफ हिज म्यूजिक’ में दी गयी हैं । रूपा द्वारा प्रकाशित और लेखक एस के रायचौधरी द्वारा अंग्रेजी में अनुवादित किताब में सचिन दा के गानों की फेहरिस्त के अलावा उनकी अनोखी शैली और संगीत का भी विश्लेषण किया गया है । सचिन के संस्मरणों को उद्धृत करते हुए लेखक ने उनके बचपन, उनके चरित्र को आकार देने वाली घटनाओं, उनके संघर्ष के दिनों, उनकी संगीत प्रतिभा तथा महान संगीतकार बनने तक के उनके सफर का विस्तार से बखान किया है । हालांकि राहुल देव बर्मन ने अपने पिता के विपरीत एकदम भिन्न शैली को अपनाया लेकिन वह अपने पिता के प्रभाव से बच नहीं सके । सचिन दा ने आर डी को एक संगीतकार के रूप में संवारा था और उन्हें अलग अलग तरह के साजों पर हाथ आजमाने को प्रोत्साहित किया । लेखक लिखते हैं, ‘‘ वह दम मारो दम गीत के संगीत से आहत नहीं थे , न ही यह बात उन्हें बुरी लगी थी कि उन्हें अब अपने बेटे के लिए रास्ता खाली करना पड़ेगा या लंबे समय से संबंध रखने वाले देव आनंद ने ‘ हरे रामा हरे कृष्णा ’ के लिए उन्हें नजरअंदाज कर राहुल को अपना संगीत निदेशक बनाया था बल्कि वह इस बात से दुखी थे कि उनके बेटे ने उन्हें त्याग दिया था।’’ किताब के अनुसार, ‘‘ जब उन्होंने :सचिन दा ने :स्टूडियो में ‘ दम मारो दम’ गाने की रिकार्डिंग सुनी तो उन्हें बड़ी निराशा हुई । वह परेशान थे । उन्होंने सोचा कि अपने जिस बेटे को उन्होंने अपनी विरासत सौंपी थी, जिन्होंने उसे बचपन से संगीत सिखाया था , उसने उन्हें त्याग दिया है ।’’ ‘‘क्या यह विरासत में मिली संस्कृति को त्यागना था? क्या अपने पिता को त्याग देना था ? राहुल ने अपने पिता को स्टूडियो से धीरे धीरे सिर झुकाए बाहर जाते देखा। ऐसा लगता था कि कोई हारा हुआ शहंशाह , युद्ध के मैदान से जा रहा हो ।’’ सचिन दा को फुटबाल और टेनिस से बेहद प्यार था और वे इन खेलों में काफी माहिर भी थे । लेखक कहते हैं, ‘‘ यदि ईस्ट बंगाल और मोहन बगान के बीच मैच हो रहा होता था तो कोई उन्हें फुटबाल के मैदान से दूर नहीं रख सकता था। ईस्ट बंगाल के प्रबल समर्थक सचिन दा अपनी टीम के मैच हारने पर खाना पीना छोड़ देते थे । गुस्से और दुख के मारे रोते थे और उन्हें अपनी खुशमिजाजी में लौटने में कई दिन लग जाते थे ।’’ लेखक ने फिल्म ‘मिली’ के गीतों की रिकार्डिंग के दौरान उन्हें पक्षाघात होने और फुटबाल से सचिन दा के लगाव के बारे में एक किस्सा कुछ इस तरह बखान किया है : ‘‘ सचिन दा गहन कोमा की हालत में थे और उन्हें ठीक करने के सभी प्रयास विफल साबित हो रहे थे । ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने केवल एक बार आंखें खोली थी। जिस दिन ईस्ट बंगाल ने मोहन बगान को लीग मैच में 5 0 से हराया , राहुल ने यह खबर अपने पिता के कान में चिल्लाकर दी । इस पर उन्होंने एक बार आंखें खोली और सिर्फ अंतिम बार ।’’ किताब में यह भी बताया गया है कि सचिन दा को किस प्रकार संगीत जगत में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा।