जीवन में भाग्य और पुरूषार्थ.दोनों का ही अप
जीवन में भाग्य और पुरूषार्थ.दोनों का ही अपना अपना ही महत्व होता हें.............
आप देख सकते हैं कि दुनिया में ऎसे मनुष्यों की कोई कमी नहीं है जो कि दिन रात मेहनत करते हैं, लेकिन फिर भी उनका सारा जीवन अभावों में ही व्यतीत हो जाता है । अब इसे आप क्या कहेंगें ? उन लोगों नें पुरूषार्थ करने में तो कोई कमी नहीं की फिर उन लोगों को वो सब सुख सुविधाएं क्यों नहीं मिल पाई जो कि आप और हम भोग रहे हैं......................
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Last edited by Dr.Shree Vijay; 17-09-2013 at 10:59 PM.
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